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KATIHAR LIVE: आज नारी अबला नहीं .....

Tuesday, March 8, 2011

आज नारी अबला नहीं .....

ओली गुहा
आज नारी अबला नहीं वह सिर्फ़ दया और सहानुभूति के पात्र हि नही वह तो सृष्टि का मूल है ! वह कुछ  भी कर सकती है, बस एक मौका चाहिये ! सिर्फ़ महिला दिवस मानने से कुछः नही  होता, महिला को दिल से सम्मान करो ! इस समाज मे नारी का भी उतना हि अधिकार है जितना पुरुष का, तो फ़िर् यह भेद-भाव क्यों ? क्यो लडकी के जन्म होने से परिवार् वाले दुखीं क्यो होते हैं ? क्यो दहेज जैसी,जालीम  प्रथा इतने अच्छे से फल-फुल रही है ? क्या लड़कियों को पालने मे, शिक्षा देने मे, उसे अच्छे नागरिक बनाने मे उसके पिता को खर्च नहि होता ? तो फ़िर् यह दहेज क्यो ? लड़का के पिता को शिकायत रहती  है कि हमने अपने बेटे को लायक बनाने में बहुत खर्च किया है,तो क्या उसका वसूली भी आप करोगे ? यह तो माँ-बाप का कर्तव्य होता है कि वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे उन्हें अच्छे ढंग से परवरिश करें !आज भ्रूण-हत्या भी इसी का परिणाम है !पंजाब, हरियाणा,जैसे कई राज्यों में लड़किओं कि संख्यां घटी जा रही है,अभी तो  ये हालत है आगे चलकर क्या होगा जरा सोचिये ? तब हालात क्या होगी?
आज महिला दिवस है इसके उपलक्ष्य में हमें संकल्प लेना होगा कि महिला का दिल से सम्मान और उचित स्थान दो उसके हक़ में है !इस पुरुष प्रधान समाज में उस रुढ़िवादी प्रथा को तोडना ही होगा कि "कोई कम महिला वश कि बात नही" !आज तो महिला हर क्षेत्र में आगे है , आप जिधर भी नजर दौडाएं आप वहीँ महिला को भी पाएंगे ! आज भी महिला आरक्षण बिल संसद में लटका हुआ है यह तो हमारी संकुचित मानसिकता नही है तो और क्या है ? क्या इस देश का सेवा करने का अधिकार पुरुष महिला को बराबर नही है ? इस दिशा में बिहार सरकार कि पहल काबिले तारीफ है जो महिलायों को जागृत एवं शिक्षित करने के  लिए कई योजनायें ला रही है  ! एक महिला शिक्षित होगी तो सारा परिवार शिक्षित और समृद्ध होगा !
आलेख -ओली गुहा ,मनिहारी कटिहार 
aouliguha@gmail.com

1 comments:

KUMAR MANGLESH said...

पार्वती भी मै
दुर्गा भी मै
सीता भी मै
मंदोदरी भी मै
रुकमनी भी मै
मीरा भी मै
राधा भी मै
गंगा भी मै
सरस्वती भी मै
लक्ष्मी भी मै
माँ भी मै
पत्नी भी मै
बहिन भी मै
बेटी भी मै
घर मे भी मै
मंदिर मे भी मै
बाजार मे भी मै
"तीन तत्वों " मे भी मै
पुजती भी मै
बिकती भी मै
अब और क्या
परिचय दू
अपने अस्तित्व का
क्या करुगी तुम से
करके बराबरी मै
जब तुम्हारे
अस्तित्व की
जननी हूँ मै
राम बिना सीता
कृष्ण बिना रुक्मिणी
गौतम बिना अहल्या
दुष्यंत बिना शकुंतला
भोगती रही अपनी क्रूर नियती
जी ली उन्होने अधूरी जिन्दगी
तब तुम्हारे बिना मै
क्या जी नहीं सकती
अपनी जिन्दगी ?

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